03 जुलाई 2012

.......कहीं ऐसा तो नहीं--संजय भास्कर

कहीं ऐसा तो नहीं की 
हम इस दुर्लभ जीवन के 
अनमोल क्षणों  को 
गवा रहे है ?
दुनिया की चकाचौंध में   
तो क्यों न हम 
स्वयं में झांके ,
की हम कितने पानी मैं है |
कहीं ऐसा तो नहीं की 
हम अटक गए है 
आलस्य में , परमाद मै 
और भूल बैठे है 
अपने  ध्येय को अपने कर्तव्य को 
तो क्यों हम पहचाने 
समय की महता को 
मेहनत की गरिमा को 
और हमारे कदम बढ उठे 
सृजन के पथ पर
नई मंजिल की ओर............... !!!

( चित्र गूगल से साभार  )

@ संजय भास्कर