31 जनवरी 2011

ऐसा हो जन्मदिन तुम्हारा......संजय भास्कर



मेरी प्यारी बहना 
आज मन कर रहा है कि
मैं दू तुम्हे कुछ न कुछ 
पर क्या दू है ही क्या पास मेरे 
हूँ तो एक छोटा सा कवि
कविता ही है मेरे पास 
दुआए ही दे सकता हूँ
खुदा की इच्छा से 
जो रक्खे सदा  खुश तुम्हें 
तुम्हारे इस  जीवन में ,

यही  दुआ है तेरे लिए  मेरी तरफ से 
निवेदन है तेरे चरणों में 
बहना तू सदा मुस्कुराती रहे 
खुदा से गुजारिश है 
तेरे हिस्से के सारे गम मुझे मिले 
हो मेरे हिस्से कि सारी खुशिया तेरी ,
तेरे नाम से हो रोशन जहाँ सारा
तू बने गिरते का सहारा
खुशियाँ इतनी मिले तुझे
हो यह उन्मुक्त आकाश तुम्हारा
हो ऐसा जन्मदिन तुम्हारा ...


यही तेरे जन्मदिन पर ....
तेरे भाई की दुआ है तेरे लिए
तेरी हर खुशी के लिए 
अपनी जान भी न्योछावर कर देंगे |
तू जो भी चाहे उसे तेरे क़दमों में रख देंगे...

तू नाम से ही "पूजा" है
नहीं कोई तुझसा दूजा है
तू मान रखना दुनिया में मेरा
ताकि नाम "पूजा" जाये हर जगह तेरा
तू बने सबके लिए सूरज सा सवेरा
यही है विशवास मेरा
यादगार हो यह जन्मदिन तेरा  
 
आज मेरी बहन पूजा का जन्मदिन है और दिल में ना जाने कितनी बाते हैं मगर शब्द कम पड़ रहे हैं 
बहन को जन्म दिन की ढेर सारी शुभकामनाएं अल्लाह उसे बहुत लम्बी उम्र और अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करे ,वो हमेशा ख़ुश रहे 
ईश्वर उसे  जीवन की हर राह पर खुशियाँ,उत्साह और उल्लास प्रदान करे......मेरी यही कामना है.
पूजा को जन्मदिन की बधाई उसे ब्लॉग   Desires  पर भी दे सकते है 


- संजय कुमार भास्कर  

24 जनवरी 2011

टीवी पर ठगी का धंधा जोरों पर ........!

 
 
सिनेमा पर तो थोड़ी बहुत लगाम है पर विज्ञापनों के मामले में टीवी बेलगाम है। टीवी को विज्ञापन चाहिएं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि विज्ञापन कैसे हैं। अच्छे या बुरे। समाज के हित में या अहित में। टीवी के मामले में कोई ठोस पॉलिसी नहीं होने की वजह से ही जागो ग्राहक जागो जैसे अभियान के दर्शन आजकल दूरदर्शन पर हो रहे हैं।कभी कभी  टीवी पर समाचार सुनने या फिर नए-पुराने गीत सुनने के लिए आध घंटे का समय मिलता है तो  इस बीच कई चैनल बदलने पड़ते हैं। ज्यादातर चैनलों पर नजर सुरक्षा कवच, कुबेर कुंजी पैक, श्री धन लक्ष्मी यंत्र आदि के बारे में बताया जा रहा होता है। इनके कथित अनेकों लाभ गिनाए जा रहे होते हैं।पढ़ाई में जीरो एक लड़का इनका यंत्र पहनकर अचानक विश्वनाथन आंदन के समान बुद्धि पा जाता है। वह क्लास में प्रथम आता है।बिजनेस में घाटा रूक जाता है और अचानक करोड़ों का फायदा होने लगता है।एक खूबसूरत-सी लड़की की शादी नहीं हो रही होती तो यंत्र पहनकर अचानक उसकी शादी पक्की हो जाती है।बच्चों के चारों तरफ नजर सुरक्षा कवच बन जाता है, जैसा कि अर्जुन के चारों तरफ भगवान श्री कृष्ण जी ने बना दिया था।अचानक तरक्की मिलने लगती है। यंत्र पहनकर बेरोजगारों को रोजगार मिल जाता है। हा-हा।
इन कथित यंत्रों की कीमत सुनकर तो और भी अचंभा होता है। क्योंकि दस से तीस हजार तक इन्हें बेचा जा रहा है। कोई तो खरीदता ही होगा। यदि बिक नहीं रहे होते तो इतने लैंथी विज्ञापन नहीं बनाए जाते और ये कथित चमत्कारी यंत्र औने-पौने दामों में बिक रहे होते। एक बात यह है कि इनमें एक्टर्स को लिया जाता है और अभिनय कराया जाता है। वे बताते हैं कि उन्हें क्या-क्या लाभ हुए। इनके विज्ञानपों में कहानियां भी ऐसी गढ़ी जाती हैं, यदि कोई एक मिनट के लिए भी सुन ले तो पूरा सुनने को मजबूर हो जाता है। कुल मिलाकर लोगों को भ्रमित करके ठगने का धंधा शबाब पर है। यह तो शुक्र है कि मेरे देश की बहुत सी जनसंख्या इस वक्त टीवी के सामने नहीं होती। हालांकि ये विज्ञापन एकाध बार दिन भी दिखाई दे जाते हैं।सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को इस विषय में कुछ सोचना चाहिए और टीवी पर लगाम लगानी चाहिए।

17 जनवरी 2011

तमन्ना कभी पूरी नही होती.....संजय भास्कर

तमन्ना तो आखिर तमन्ना है दोस्त 
इसे सच कैसे जान लिया तुमने  
सच तो ये है के तमन्ना कभी पूरी नही होती और  
जो पूरी हो जाये, वो तमन्ना नही होती !

.....संजय भास्कर .....

 बहुत दिनों से ब्लॉग पर कविता लिख रहा था पर धीरे धीरे समय की कमी के कारण  कविता नहीं लिख पाया इसीलिए आज कुछ लाइन पेश है.. .उम्मीद है आपको पसंद आएगी !

12 जनवरी 2011

किस बात का गुनाहगार हूँ मैं....संजय भास्कर


किस बात का गुनाहगार हूँ मैं,
खुशिया भरता हूँ  सबकी जिंदगी में ,
टूटे दिलो को दुआ देता हूँ ,
दुश्मन का भी भला करता हूँ |
क्या इसी बात का गुनाहगार हूँ ,
मेरी जिंदगी में कांटे डाले सबने
मैंने फूलों की बहार दे डाली
बचाता हूँ दोस्तों को हर इलज़ाम से
कहीं दोस्त बदनाम न हो जाये
मेरे लिए यही जिंदगी का दस्तूर है |
क्या इसीलिए मैं गुनाहगार हूँ ,
साथ निभाता हूँ सभी अपनों का
जिंदगी की हर राह पर
क्या यही है कसूर मेरा ,
हाँ हाँ .......यही है कसूर मेरा
जो अपने दिल के गमो को छुपाता रहा हूँ मैं
ज़माने को हसाता रहा हूँ मैं,
और तन्हाई में आंसू  बहाता  रहा हूँ मैं 
' भास्कर ' पूछता है क्या यही जिंदगी का दस्तूर है
कोई बता दे कसूर मे
किस बात का.................... गुनाहगार हूँ  मैं  !
चित्र :- ( गूगल से साभार  )
 

..................... संजय कुमार भास्कर

05 जनवरी 2011

कल्पना नहीं कर्म ................संजय भास्कर

कल जब मैं अपने ऑफिस से घर के लिए निकला तो देखा एक काफी शॉप पर कुछ युवा मदहोश होकर धूम्रपान  कर रहे है  व नशे में डूबे  हुए है तथा थोड़ी ही देर में एक दुसरे को  गलियां  देने लगे व मार पीट पर उतर आये 
जो कुछ देर पहले तक एक दुसरे के साथ मदमस्त थे वही एक दुसरे को मारने पर उतारू है ....यह सब देख कर यह छोटी सी कविता लिखी है .....उम्मीद है आपको पसंद आएगी ............ !




काफी हाउस में बैठा
आज का युवा वर्ग
मदहोश , मदमस्त, बेखबर
कर्म छोड़ कल्पना से
संभोग करता हुआ
निराशा को गर्भ में पालता हुआ
मायूसियो को जन्म दे रहा है
तो ऐसे कंधो पर
देश का बोझ
कैसे टिक पायेगा ? जो
या तो खोखले हो गये है
या जिनको उचका लिया गया है
ए - दोस्त -
बाहर निकलो इस संकीर्ण दायरे से
कल्पना को नहीं कर्म को भोगो
अपने कंधे मजबूत करो
इन्ही कंधो को तो
यह देश यह समाज निहारता है
अपनी आशामयी, धुंधली सी
बूढी आँखों से .....................!
चित्र :- ( गूगल से साभार  )

.......................संजय कुमार भास्कर