30 जुलाई 2010

तप से भगवान बने सचिन तेंदुलकर


सचिन तेंदुलकर को यूं ही महान नहीं कहा जाता। सचिन क्या किसी भी फिल्ड में जो भी महान कहलाता है, उसके पीछे उसकी तपस्या होती है। किसी शख्स का तप ही उसे महानता और परफेक्शन की तरफ ले जाता है। यदि क्रिकेट को धर्म कहा जाए तो सचिन उस धर्म के भगवान हैं। भगवान अपने कर्मों और तप से बने थे। जो भगवान बनकर दुनिया में अवतरित हुए उन्हें सृष्टि निर्माता की ओर से ऐसा करने का हुकम दिया गया था। भगवान आए और अपने कार्यों से वे सबके प्रिय बन गए। कष्टों में जी रहे लोगों को लगा कि अब उनकी रक्षा के लिए कोई तो है।
इसी संदर्भ में क्रिकेट का भगवान सचिन को कहा जाता है, क्योंकि सचिन की कामयाबी और यश के पीछे महान तप है। जब तेंदुलकर टीम में नहीं थे तो उनके कोच उन्हें अभ्यास कराते थे। जाहिर है कि यह बात तक की है, जब सचिन 16 साल से कम उम्र के थे। कोच सचिन के स्टंप्स पर एक रूपए का सिक्का रख देते थे। सचिन के बल्लेबाजी अभ्यास के दौरान जो भी बॉलर सचिन को आउट करता, उसे वह सिक्का मिलता। और यदि पूरे अभ्यास में सचिन नॉट आउट रहते तो सिक्का सचिन के नाम होता। सचिन के पास इस अभ्यास के 13 सिक्के हैं, जिन्हें उन्होंने सहेजकर रखा है। यह तपस्या का एक अंश हैं। सचिन ने 20 साल तक लगातार अपनी फिटनेस को सही साबित करते हुए टीम में अपनी जगह बनाई। आज के खिलाड़ी तो तीन-चार सालों में ही अनफिट हो जाते हैं। यह भी सचिन की तपस्या ही है। विनोद कांबली की तरह कामयाबी पाने के बाद पब-क्लब और डांस पार्टियों का हिस्सा नहीं बने। इसलिए ही वे आज तक लगातार खेल रहे हैं।
दुनिया में ऐसा कोई महान गेंदबाज नहीं, जो सचिन के कोप से बच सका हो। साउथ अफ्रीका के गेंदबाज एलन डोनाल्ड ने कहा था- दुनिया के महान बल्लेबाजों में स्टीव वॉ, ब्रायन लारा बहुत उपर हैं, लेकिन सचिन तेंदुलकर का कद इन दोनों से कुछ उपर है। मुझे याद है जब हम 1991 में भारत आए थे तो क्रेग मेक्डरेमोट ने मुझे कहा था कि मैं उस बल्लेबाज से सावधान रहूं, जो एक महान खिलाड़ी बनने की ओर अग्रसर है। वह सचिन के बारे में बात कर रहे थे। कलकत्ता के मैच में सचिन ने 62 रन बनाए तो मुझे आभास हो गया कि यह वाकई महान खिलाड़ी है। एक साधारण बल्लेबाज को गेंदबाजी करने के लिए आपको अपने रनअप के अलावा लाइन लेंथ को हर बॉल पर ध्यान में रखना होता है, लेकिन सचिन के सामने आने के लिए रनअप और लाइन लेंथ के अलावा एक सप्ताह पहले से ही मुझे प्लानिंग करनी पड़ती थी।
जब हम हैंसी क्रोनिए की कप्तानी में खेल रहे थे तो हमारी पूरी टीम ने सचिन की कमजोरी पकड़ने के लिए बहुत काम किया। हमने उसे पैड पर गुड लेंथ बॉल डालकर आउट करने की कोशिश की, हमने शार्ट बॉल डालकर उसे परेशान करना चाहा, लेकिन वह लगातार रन बनाता रहा। मैंने आज तक जितने भी बल्लेबाजों के सामने बॉलिंग की है, सचिन सबसे महान हैं। वह 35 साल से अधिक हो चुका है पर अब भी युवा है। वह एक बेहतरीन इंसान है। क्रिकेट उसका प्यार है, इसलिए वह विश्व में सबसे बेहतरीन है।