01 मार्च 2010

1411 बाघ बचाओ आन्दोलन

 

कैसी बिडंबना है कि पहले लोग बाघों से डरा करते थे और जंगलों में जाने से बचते थे कि कहीं से कोई बाघ न आ जाए॥! और अब आलम यह है कि लोग बन्दूक इत्यादि हथियार लेकर जंगलों का रुख करते हैं..। वो भी बाघों का शिकार करने! वही डर जो पहले इंसानों में बाघों के प्रति हुआ करता था, अब बाघों के जेहन में बैठ गया है। उन्हें लगता है कि क्या जाने कहीं से कोई इंसान आ जाए और अपनी बन्दूक का निशाना बना ले।
एक ज़माना था जब लोग बाघ से बचते थे, और आज का ज़माना है जब लोग बाघ को बचाते हैं।
देश के बाघ संरक्षित क्षेत्रों में इस वर्ष अब तक पांच बाघों की प्राकृतिक या अन्य कारणों के चलते मौत हुई है।
पर्यावरण और वन राज्य मंत्री जयराम रमेश ने लोकसभा में बताया है कि वर्ष 2008 में देश भर में अत्याधुनिक प्रणाली का इस्तेमाल कर हुई बाघों की अनुमानित गणना के मुताबिक भारत में।,411 बाघ [मध्य संख्या] हैं। इस बारे में न्यूनतम संख्या।,165 और अधिकतम संख्या।,657 है।  इसी तरह गणना में है।
  देश के विभिन्न बाघ संरक्षित क्षेत्रों में इस वर्ष कुल पांच बाघों की मौत प्राकृतिक या किन्हीं अन्य कारणों के चलते हुई है। इनमें दो बाघों की मौत उत्तराखंड के कारबेट में, दो की मौत असम के काजीरंगा में और एक मौत मध्य प्रदेश के पेंच राष्ट्रीय उद्यान में हुई है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2007 से अब तक काजीरंगा बाघ संरक्षित क्षेत्र में 16, कारबेट में 15 और मध्यप्रदेश के कान्हा में आठ बाघों की मौत हो चुकी है।
बाघ बचाओ,  बाघ बचाओ,  बाघ बचाओ,  बाघ बचाओ ..........................